रात अकेली
तपते दिन के बाद,
एक सूनी साँझ होती है.
कुछ परिंदे लौटते है,
चहचहाते हुए.
अंगड़ाई लेती है ये पवन,
और धीमा पड़ता है,
कुछ भौरों का स्वर.
दिखने लगते है तारे तब,
मुझे आगोश में लेता है,
अनजाना गम.
अनजाना गम उन,
सितारों का,
जिन्हें ठिठुरना है,
रात भर.
अनजाना गम उस धरती का,
जो दिनभर तपी है.
और गम उसकी याद का,
जो मेरी होकर भी मेरी नहीं.
जाने कहाँ खो गई वो,
लेकर मेरी हर एक याद.
दे गई बस ये,
अनूठा गम.
ये तपती धरती,
ठिठुरते सितारे,
एक अजीब-सी पहेली,
यादों जैसी ही,
एक सहेली,
अनसुलझी-सी एक,
रात अकेली...
तपते दिन के बाद,
एक सूनी साँझ होती है.
कुछ परिंदे लौटते है,
चहचहाते हुए.
अंगड़ाई लेती है ये पवन,
और धीमा पड़ता है,
कुछ भौरों का स्वर.
दिखने लगते है तारे तब,
मुझे आगोश में लेता है,
अनजाना गम.
अनजाना गम उन,
सितारों का,
जिन्हें ठिठुरना है,
रात भर.
अनजाना गम उस धरती का,
जो दिनभर तपी है.
और गम उसकी याद का,
जो मेरी होकर भी मेरी नहीं.
जाने कहाँ खो गई वो,
लेकर मेरी हर एक याद.
दे गई बस ये,
अनूठा गम.
ये तपती धरती,
ठिठुरते सितारे,
एक अजीब-सी पहेली,
यादों जैसी ही,
एक सहेली,
अनसुलझी-सी एक,
रात अकेली...
nyc
ReplyDeleteGahraai prabhavit karti hai.
ReplyDeletethanx Prabodh sir!
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