सीधी लकीरें
किताबों में सीधी लकीरें खींचने से,
खुद में पनपता चित्रकार नहीं मिलता.
ठंडा पड़ा स्थिर शव ही मिलता है,
बिना हरकत का ज़िंदा इंसान नहीं मिलता.
बिना मौहब्बत के जीना तो बेमानी है,
तकरार के बिना मौहब्बत का इकरार नहीं मिलता.
जब ईमान ही खुद का हो गंदा,
उंगली उठाने पर भी बेईमान नहीं मिलता.
अनदेखी राहों में कभी खो जाने से,
सच्चे हौसलों को झुकाव नहीं मिलता.
हर वक़्त आसमान तांकते रहने से,
ज़मीं का हीरा-जवाहरात नहीं मिलता.
सपाट-सी राहों पे सदा चलते रहने से,
जीवन को हंसी कोई मोड़ नहीं मिलता.
हसरत की कश्ती पर बैठे रहने से,
खुद-ब-खुद उसका मुकाम नहीं मिलता.
गर दर्द सहने की तासीर ही न होती,
तुझे ये मुकम्मल-ए-जहान नहीं मिलता.
मैं अपने ही गम में कभी रोया नहीं 'सुषमा',
बिना दर्द के सच्चा कलमकार नहीं मिलता..........
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