Tuesday 18 March 2014

Short Story- Nivesh






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लघुकथा
 निवेश

         मिस्टर शर्मा अपनी कार से उतरे और 1 वर्षीय पोती को गोद में लेकर भार्गव बनिए की दुकान पर किराना लेने पहुँचे। ढाई हजार का मोटा-ताजा बिल चुकाने के बाद बकाया पैसे के इंतज़ार में शर्मा साहब मुस्कराते हुए खड़े थे. इतनी देर में भार्गव बनिए का वात्सल्य अचानक जागृत हो गया और वो चॉकलेट की बरनी से एक चॉकलेट निकालकर मुस्कराते हुए शर्मा साहब की पोती को देने लगे.
           छोटी-सी बच्ची ने तुरंत चॉकलेट झपट ली.
          "अरे! भार्गव साहब! इसकी क्या ज़रूरत है.'' शर्मा जी ने मुस्कराते हुए कहा.
          ''बस हमारी बच्ची पे हमें प्यार आया, तो दे दिया। देखिये कितनी खुश है.'' भार्गव बनिया एक प्यार भरी मुस्कान दे रहा था.
          ''बेटा! अंकल जी को नमस्ते करके थैंक्यू बोलो।''शर्मा जी ने भी मुस्कराते हुए छोटी बच्ची से कहा.
          ''थंकू!'' बच्ची अस्पष्ट स्वर में अपने दोनों हाथ बेतरतीब जोड़ के कहने लगी.
            शर्मा साहब अपना खरीदा हुआ सामान और बकाया पैसे लेकर अपनी कार में बैठकर चले गए.
           तभी दुकान पर एक मजदूर अपनी 2 वर्षीय बच्ची को लेकर पहुँचा। पचास रुपयों के बिल पे पचास रूपए का नोट देने के बाद उस मजदूर की 2 वर्षीय बालिका चॉकलेट की बरनी की तरफ इशारा करके चॉकलेट माँगने लगी. वो काफी देर से उस बरनी को देखे जा रही थी. अचानक वो बच्ची ज़िद पे उतर आई और रोने लगी.
            तब उस मजदूर ने चॉकलेट की बरनी की तरफ इशारा करके भार्गव बनिए से पूछा- ''कितने की है भाऊ?''
            ''5 रूपये की एक!'' भार्गव बनिए का सपाट स्वर था.
            ''भाऊ! 5 रूपये मैं अगली बार आऊँ, तब ले लेना। अभी पैसे नहीं है.'' उस मजदूर ने विनम्र स्वर में कहा.
            ''न-भाई-न!'' भार्गव बनिए ने मुँह फेरते हुए कहा. ''हम किसी को उधार नहीं देते.''
            वो मजदूर अपना सामान लेकर अपनी ज़िद करती हुई बच्ची को डपटते हुए वहाँ से चला गया.
            भार्गव बनिए का कार से आकर ढाई हजार रुपयों का सामान खरीदने वाले शर्मा जी की पोती पे उमड़ा दुलार अचानक पचास रुपयों का सामान खरीदने वाले मजदूर की बेटी के लिए पूरी तरह काफूर हो चुका था.
             वो व्यापार में अपनी भावनाओं का निवेश भी सोच-समझकर करना अच्छी तरह से जानते है...
                                               
                                                          -अंकुर नाविक,
                                                    (www.ankurnavik.in)

"Deepika "Ek Prem Kahani" Hindi Novel by Ankur Navik & Arjun Mehar

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Details of Book: Deepika "Ek Prem Kahani"
Author: Ankur Navik & Arjun Mehar
Category: Love Story
ISBN-13: 978-81-921311-39
Binding: Paperback
Publisher: Rigi Publication www.rigipublication.com
Pages: 220
Language: Hindi
Price: 143 Rs.

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